जिस्मफरोशी एक ऐसा दलदल है जिसमे एक बार गिरने के बाद कोई महिला वापस अपनी जिंदगी में लोट नहीं पाती! ऐसा ही एक वाक्या हुआ था एक लड़की के साथ जो की उस वक़्त 14 साल की थी जब उसे इस दलदल में धकेला गया था! तक़रीबन 10 साल तक इस लड़की ने जिस्म बेचके अपना पेट पाला और तब जाके उसे यहाँ से रिहाई मिली थी, क्युकी उसे आगे बेच दिया गया था! यह कहानी है बांग्लादेश में रहने वाली एक लड़की की जो की अब 26 साल की है और यही काम कर रही है! लेकिन जबसे देश भर में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लगा है तबसे इनके खाने पीने की किल्लत बढ़ गयी है और इन्हे भुकमरी से लड़ना पड़ रहा है!
उस लड़की जिसका नाम रेशमा है, ने कहा, ‘कोरोना वायरस की वजह से कोई घर से बहार नहीं निकल पा रहा है इसलिए आज हम संकट में पड़ गए हैं! जिस्मफरोशी के अलावा हमे और कोई काम भी नहीं आता, और काम मांगने जाए तो भी हमे कोई काम नहीं देता! बांग्लादेश में भी मार्च के आखिर में लॉकडाउन लागू किया गया था और तबसे ही हमारी भुकमरी के दिन चालू हो गए थे! रेशमा ने कहा की अभी तो ये भी नहीं पता की यह सब कब तक चलेगा और उन्हें कब तक ये सब झेलना पड़ेगा!
पुरे शहर में लॉकडाउन होने से न तो कही आने जाने की सुविधा है और ना ही कोई ठीक से व्यापार कर पा रहा है! सरकार ने सभी व्यापार और धंदो को बंद करने के आदेश दे दिए थे जिसमे से वेश्यालय भी एक था और अब हमारे पास कोई ग्राहकों नहीं आ पाता है और ग्राहक नहीं तो पैसे नहीं और पैसे नहीं तो खाना नहीं! वेश्यावृति को साल 2000 में लीगल कर दी गयी थी, लेकिन फिर भी हमे आज भी इज्जत की दो रोटी नसीब नहीं होती!
वैसे तो कहा जा रहा है की सरकार की तरफ से सभी ऐसे लोगो की मदद की जा रही है, जो खाना खाने में सक्षम नहीं है, और सरकार इसके लिए पुलिस और लोकल एनजीओ की भी सहायता ले रही है ताकि किसी को खाने की किल्लत ना हो! लेकिन फिर भी वेश्यालयों में रहने वालो का कहना है की उनकी जितनी भी मदद की जा रही है वह पर्याप्त नहीं है!